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धुआं तभी उठता है जब चिंगारी लगी हो!

Smoke only rises when there is a spark

राजनीति भी बेहद दिलचस्प होती है। यहां सामने कुछ और चलता है और परदे के पीछे कुछ और होता दिखाई दे जाता है। कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश में हो रहा  है। आज के छोटे बड़े सभी अख़बारों में छप चूका है कि कमलनाथ व उनके बेटे नकुल नाथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे है । पर कमलनाथ व उनके बेटे नकुल नाथ अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है । यह कहावत सही है कि जब तक चिंगारी न लगी हो धुआंनहीं उठता है । चारों तरफ धुआंफ़ैल चूका है पर कमलनाथ पत्ते खोलने को तैयार नहीं है । कमलनाथ व उनके बेटे नकुल नाथ इस समय दिल्ली में है और पूरा मीडिया उनके ऊपर ध्यान लगाए हुए है । जानकारों का कहना है कि इस समय दिल्ली में भाजपा का अधिवेशन चल रहा है। इसके समाप्त होते ही पत्ते खुल सकते है यानी  आज शाम तक कमलनाथ अपने पत्ते खोल सकते है ।

यह जानना भी जरुरी है कि 45  वर्षों से कांग्रेस के वफादार रहे कमलनाथ ने पाला बदलने कि क्यों ठानी । यह जानने के लिए हमें थोडा पीछे जाना होगा । मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी फिलहाल राहुल गांधी पर भारी पड़ चुकी थी । पूरा का पूरा मामला राज्यसभा चुनाव को लेकर था । दरअसल, राहुल गांधी राज्यसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश से किसी और को टिकट देना चाहते थे। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की चाहत कोई और था। आखिरकार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने जोर लगाया और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को टिकट दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली। यह कहीं ना कहीं यह राहुल गांधी के लिए असमंजस की स्थिति बन चुकी थी।

मीडिया में छपी खबरों के अनुसार मध्य प्रदेश से राज्यसभा के टिकट के लिए राहुल गांधी वरिष्ठ नेता मीनाक्षी नटराजन की पैरवी कर रहे थे। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ लगातार अशोक सिंह के पक्ष में खड़े रहे। इसके बाद मीनाक्षी नटराजन का टिकट काटकर अशोक सिंह को दिया गया। खबर तो यह भी है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी राहुल गांधी की विश्वासपात्र और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन का समर्थन किया था। ऐसे में सवाल यह है कि फिर अशोक सिंह की एंट्री कहां से हो गई? दरअसल, अशोक सिंह ग्वालियर से लगातार चार लोकसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। हालांकि, उनके समर्थक नेताओं ने तर्क दिया कि हमेशा वे कड़े मुकाबले में हारे हैं। दूसरे नंबर पर ही रहे हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी माने जाते हैं। अशोक सिंह को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद ग्वालियर चंबल क्षेत्र में सिंधिया के प्रभाव को कम करने में कांग्रेस को मदद मिल सकती है।

हाल के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र में कांग्रेस को जबर्दस्त हार मिली थी। यही कारण है कि कांग्रेस वहां धाक जमाने की जुगत में थी । इसके अलावा अशोक सिंह ओबीसी समाज से आते हैं। वह भी उनके पक्ष में चला गया। इसके बाद मीनाक्षी नटराजन के नाम की चर्चा बंद हो गई। अशोक सिंह को दिग्विजय सिंह का वफादार माना जाता है। लेकिन इस बार कमलनाथ ने भी उनका समर्थन कर दिया। कहा जा रहा है कि कमलनाथ खुद राज्यसभा जानना चाहते थे। लेकिन उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी नहीं मिली। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को अशोक सिंह का समर्थन करने  को कहा था और वह सहमत भी हो गए।

कमलनाथ लगातार नटराजन का विरोध कर रहे थे। नटराजन ने पहले 2009 में मंदसौर लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन उसके बाद उन्हें लगातार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। राहुल गांधी के कई प्रोजेक्ट पर मीनाक्षी नटराजन ने काम किया है। इस वजह से भी राहुल उन्हें राज्यसभा भेजना चाहते थे। इस  घटनाक्रम से यह भी पता चल गया कि भले ही मध्य प्रदेश में चुनावी हार मिलने के बाद कमलनाथ को पार्टी अध्यक्ष पद से दूर होना पड़ा। लेकिन अभी भी उनका प्रभाव है। केंद्रीय नेतृत्व अभी भी उन्हें नाराज नहीं करना चाहता था । पर अंगार तो लग चूका था ।

जनवरी में कमलनाथ ने सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के सवाल को खारिज कर दिया था, लेकिन कहा था कि राजनीतिक नेता स्वतंत्र हैं और किसी भी संगठन से जुड़े होने के लिए बाध्य नहीं हैं। अफवाहों ने तब जोर पकड़ लिया जब कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ ने भी अपने एक्स अकाउंट में अपना बायो बदल लिया। अटकलों के मुताबिक कई विधायक भी कमलनाथ के साथ जा सकते हैं। बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने सोशल मीडिया पर कमल नाथ और नकुल नाथ की फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, "जय श्री राम"। इसी को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से सवाल पूछा गया। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कल रात मेरी कमल नाथ जी से बातचीत हुई। वह छिंदवाड़ा में हैं। 

दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि ये वो शख्स हैं जिन्होंने अपना राजनीतिक करियर नेहरू-गांधी परिवार से शुरू किया था। आप उस शख्स से ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो सोनिया गांधी और इंदिरा गांधी के परिवार को छोड़ देगा। वीडी शर्मा से जब कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को खारिज कर दिया है। कांग्रेस में ऐसे लोग हैं जो इससे परेशान हैं। कांग्रेस भगवान राम का अपमान करती है और कांग्रेस में ऐसे लोग हैं जो इससे दुखी हैं और हमें लगता है कि उन्हें मौका मिलना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर आप जिनका नाम ले रहे हैं (कमलनाथ) को भी पीड़ा है तो उसका भी स्वागत है।

उनके बेटे नकुल नाथ, जिन्होंने हाल ही में पॉकेट बोरो छिंदवाड़ा से अपनी उम्मीदवारी की एकतरफा घोषणा की है, ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से "कांग्रेस" शब्द हटा दिया है। ऐसे में सवाल उट रहा है कि आखिर इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के तौर पर देखे जाने वाले कमलनाथ का कांग्रेस से मोहभंग कैसे हो रहा है? कमलनाथ के करीबी सज्जन सिंह वर्मा ने संकेत दिया कि उनके बॉस का अपमान किया गया है। मीडिया  से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नेता के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि राजनीति में तीन चीजें काम करती हैं- मान, अपमान और स्वाभिमान, जब इन पर चोट लगती है तो इंसान अपने फैसले बदल लेता है।जब ऐसा शीर्ष राजनेता जिसने पिछले 45 साल में कांग्रेस और देश के लिए बहुत कुछ किया हो, आगे बढ़ने की सोचता है अपनी पार्टी से दूर हैं तो इसके पीछे ये तीन फैक्टर काम करते हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश चुनाव में पार्टी की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद से ही कमलनाथ भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया और राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता भी नहीं बनाया गया। राज्यसभा उम्मीदवारी के लिए अशोक सिंह के नाम की घोषणा से भी कमलनाथ नाराज थे। सिंह को दिग्विजय सिंह का वफादार माना जाता है। कमलनाथ को राज्यसभा की चाहत थी। 

कमलनाथ की नाराजगी की एक और वजह बताई जा रही है। कमलनाथ अब 78 साल के हो गए हैं। वह राजनीति में कितने वर्षों तक सक्रिय रहेंगे, इसको लेकर भी सवाल है। फिलहाल भाजपा कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को लेकर काफी एग्रेसिव है। छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ का घेराव करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेता को भाजपा ने प्रभार दे दिया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा के सात सीटों पर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत तो मिल गई लेकिन अंतर बहुत कम हो गया। ऐसे में कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के भविष्य को लेकर चिंतित है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वह अपने बेटे को भाजपा में सेट करने की कोशिश में हैं। इससे उनका गढ़ छिंदवाड़ा का किला भी बच जाएगा और नकुलनाथ के लिए आगे की राजनीति आसान भी रह सकती हैं। 

कमलनाथ को गांधी नेहरू परिवार का काफी करीबी बताया जाता है। कमलनाथ राजनीति में संजय गांधी के साथ ही आए थे। संजय गांधी और कमलनाथ दोनों बचपन के दोस्त थे और दून स्कूल में साथ में पढ़ाई की थी। संजय गांधी की दोस्ती के कारण ही उन्होंने 1968 में राजनीति की शुरुआत की। आपातकाल के दौरान संजय गांधी ने युवाओं की जो टीम बनाई थी उसमें कमलनाथ का भी बड़ा रोल था। कानपुर के होने के बावजूद भी कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से चुनाव जीता। यह इंदिरा गांधी का ही भरोसा था। उन्होंने छिंदवाड़ा में प्रचार के दौरान ही राजीव गांधी और संजय गांधी के बाद कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा बताया था।

इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कहकर शांत करने की कोशिश की। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने शनिवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा बताया था और उन अटकलों को खारिज कर दिया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं। पटवारी ने संवाददाताओं से कहा, क्या आप इंदिरा जी के तीसरे बेटे के भाजपा में शामिल होने का सपना देख सकते हैं? उन्होंने कहा कि कमलनाथ बुरे दौर में कांग्रेस के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहे जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के मार्च 2020 में भाजपा में शामिल होने के बाद उनके (कमलनाथ के) नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। उन्होंने कहा कि पहली बार जब कमल नाथ ने चुनाव लड़ा था, तब इंदिरा गांधी ने कहा था कि कमल नाथ उनके तीसरे बेटे हैं। 

अंत  में यह भी खुलासा हुआ है  कि  कमलनाथ  देर रात भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं, 12 विधायकों और 3 महापौर के भी दिल्ली पहुंचने की संभावना है। कमलनाथ के करीबी विधायकों में  सुनील उईके जुन्नारदेव, सोहन वाल्मीकि परासिया, विजय चौरे सौंसर,निलेश उईके पांढुर्णा, सुजीत चौधरी चौरई, कमलेश शाह अमरवाड़ा, दिनेश गुर्जर मुरैना, संजय उईके बैहर, मधु भगत परसवाड़ा, विवेक पटेल वारासिवनी के अलावा मुरैना और छिंदवाड़ा महापौर शामिल हैं।तो आग जोर पकड़ती रही, पर इसे बुझाने की कवायद कांग्रेस की फायर ब्रिगेड में कहीं नजर नहीं आई। राहुल गांधी अपनी यात्रा में मस्त रहे  ।  धुआं उठता रहा और धुएं ने यह साफ कर दिया कि कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता से मध्यप्रदेश कांग्रेस का दम घुट सकता है। यदि नाथ ने कमल खिलाया तो मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कमल तो खिलेगा ही और कांग्रेस अनाथ सी भी नजर आती रहेगी…।

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक  एवं टिप्पणीकार

लेखक  5  दशक से लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं

पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड से  सम्मानित

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