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जनसँख्या नियंत्रण कानून आवश्यकता या बाध्यता ?

 Population control law requirement or obligation
Highlights हम अक्सर देखतें है की बाइक, निजी सवारी के साथ-साथ सार्वजानिक सवारी पर अधिक भीड़ यात्रा करतें देखी जाती है |

डॉ. अजय कुमार मिश्रा

किसी भी देश के विकास में वहां की जनसंख्या तब लाभदायक है जब उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का समुचित रूप से दोहन हो सकें, साथ ही जमीनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी पक्ति में खड़े अंतिम पायदान तक के व्यक्ति तक पहुँच सकें| विभिन्न विषमताओं से पूर्ण इस देश में सभी के पीछे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कारणों में से देश की जनसख्याँ ही बड़े कारण के रूप में दिखाई पड़ती है | देश में जनसँख्या नियंत्रण की मांग लम्बे समय से हो रही है जिसका कही सहयोग तो कही विरोध भी दिख रहा है | हाल ही में सामने आये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानि की  एनएचएफएस - 5 की रिपोर्ट का कुछ लोग खूब हवाला दे रहें है | इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रजनन दर में लगातार कमी आ रही है | साथ ही देश अब प्रतिस्थापन दर को प्राप्त करने वाला है | इसके आधार पर यह भी कहा जा रहा है कि देश में अब जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है | जबकि हकीकत यह है की यह एक सीमित समूह का सर्वेक्षण है, जो वास्तव में जमीनी सच्चाई को बयां नहीं कर रहा है |

यू.एन. पापुलेशन प्रास्पेक्ट्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट में भारत के लिए यह कहा गया था की वर्ष 2027 में चीन की जनसंख्या को हम पार कर लेंगे | वर्तमान में चीन दुनियां की सबसे अधिक आबादी वाला देश है | हाल ही में यूएन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत की जनसंख्या वर्ष 2023 में ही चीन से अधिक हो जाएगी | एक तरफ एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर को प्राप्त करने वाली है, वहीं दूसरी तरफ वर्ष 2027 के स्थान पर चार वर्ष पूर्व ही वर्ष 2023 में हमारे देश की जनसँख्या चीन को पीछे छोड़ने जा रही है | क्या यह इस बात का जीवंत प्रमाण नहीं है की देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है ? चीन और भारत की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन, तीसरे देश की निर्णायक आँखों से देखेगे तो आप एक दो नही अनेकों मामलों में चीन को भारत से कही आगे पायेगे | इसे इस बात से भी समझा जा सकता है की भारत की वर्ष 2022 की अनुमानित जीडीपी $ 3.535 ट्रिलियन है जबकि इसी अवधि की चीन की जीडीपी $ 19.91 ट्रिलियन है | यह फर्क कई बातों को स्पष्ट बयां कर रहा है | चीन अपने देश में जनसंख्या नियन्त्रण कानून पहले ही लागू कर उद्देश्यों की पूर्ति के पश्चात् उसे हटा भी चूका है |

जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किये जाने की आवश्यकताओं पर कई बिंदु और तर्क समर्थन करतें है, जरुरत है तो उन्हें समझने की |अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम देखे तो पता चलता है कि रूस का क्षेत्रफल भारत का पांच गुना है, जबकि आबादी महज 15 करोड़ है | क्षेत्रफल की दृष्टि से देखे तो कनाडा का क्षेत्रफल अपने देश के क्षेत्रफल से 3 गुना बड़ा है, जबकि आबादी महज 4 करोड़ है | यदि हम अमेरिका की बात करें तो इसका भी क्षेत्रफल भारत से 3 गुना बड़ा है और आबादी महज 33 करोड़ है | पड़ोसी देश चीन का भी क्षेत्रफल हमसे 3 गुना अधिक है और उनकी जनसँख्या 144 करोड़ है | ब्राजील का भी क्षेत्र हमसे 3 गुना अधिक है और आबादी मात्र 22 करोड़ है | ऑस्ट्रेलिया का क्षेत्रफल भारत का 2.5 गुना है, जनसँख्या महज 3 करोड़ है | यदि देश की अनुमानित जनसँख्या की बात करें तो वेबसाइट वर्ल्डवोमीटर के अनुसार वर्तमान जनसँख्या 156.59 करोड़ है | यह आकड़ें हमें पुनः जनसँख्या नियंत्रण पर न केवल सोचने के लिए विवश करतें है, बल्कि त्वरित कार्यवाही करने की प्राथमिकता को दिखा रहे है |    

यदि हम अन्य पहलुओं की बात करें तो जहाँ चीन में प्रतिदिन तकरीबन 46 हजार बच्चे जन्म लेतें है वही  भारत में यह संख्या 86 हजार है | विश्व में हमारा क्षेत्रफल मात्र 2% है | पीने योग्य पानी की बात करें तो महज 4 प्रतिशत है, जबकि हमारी आबादी विश्व की कुल आबादी का 20 प्रतिशत है | प्राकृतिक संसाधनों की तुलना में आबादी कही अधिक है और जिस गति से बढ़ रही है वह वास्तव में गम्भीर चिंता का विषय है | भारत की कुल जनसँख्या अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, थाईलैंड, फ़्रांस, रूस, इटली, अर्जेंटीना, कोरिया,स्पेन, पोलैंड, कनाडा, ब्राजील, न्यूजीलैंड, स्वीडन, बेल्जियम, क्यूबा, पुर्तगाल, ग्रीस, कजाकिस्तान, अफ्रीका की कुल जनसँख्या के बराबर है, जबकि क्षेत्रफल इनके कुल क्षेत्रफल का 1/20 है | यदि हम अमेरिका की बात करें तो वहां का क्षेत्रफल भारत से 3 गुना अधिक है और वहां प्रतिदिन मात्र 11 हजार बच्चे जन्म लेते है जबकि भारत में 86 हजार | ये आकड़ें देश में जनसँख्या वृद्धि की गंभीर समस्या पर मुहर लगा रहे है |

हाल ही में एक न्यूज़ ने देश में सुर्खियाँ बटोरी थी एक ऑटो में 27 लोग सवारी कर रहे थे | हम अक्सर देखतें है की बाइक, निजी सवारी के साथ-साथ सार्वजानिक सवारी पर अधिक भीड़ यात्रा करतें देखी जाती है | केंद्र सरकार को सभी को घर मुहैया कराने की मुहीम जब तक पूरा होगी तब तक करोड़ों नए पात्र घर की मांग करतें नजर आयेगे | क्योंकि बेरोजगारी और गरीबी के कई कारणों में से एक महत्वपूर्ण कारण अधिक जनसँख्या भी है | देश में तकरीबन 80 करोड़ लोगों को सरकार फ्री में राशन बाट रही है इस आधार पर कहा जा सकता है की देश में 80 करोड़ गरीब लोग है | यदि समुचित आवश्यकता इन लोगों की पूरी होती तो शायद इस राशन की जरूरत नहीं होती | ईमानदारी से हम सभी को यह समझना होगा कि – दो कमरें के मकान में 5-6 सदस्यों का परिवार आराम से रहेगा या 20-25 सदस्यों का ? दस हजार मासिक आय में 5 सदस्यों का परिवार ख़ुशी से रहेगा या फिर 25 सदस्यों का ? कोरोना काल में यदि हमारी जनसँख्या वर्तमान की आधी रहती तो स्थति क्या होती ?

उपरोक्त आकड़ें महज एक उदहारण है जो देश की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति जनसँख्या के मामले में बयां कर रहें है | आज एक - एक भर्ती के लिए कितने आवेदन आ जातें है, यह हाल ही में अग्निवीर में प्राप्त संख्या से आकलन निकाला जा सकता है | जबकि यह नियुक्ति मात्र 5 वर्ष के लिए है | सरकारी अस्पतालों में भीड़ और इलाज से जनसँख्या की स्थिति को और बेहतर समझा जा सकता है | शिक्षा की स्थिति सभी के सामने है | देश की एक दो नहीं अनेकों समस्याएं सिर्फ और सिर्फ जनसँख्या की वजह से है | यदि सही समय पर तत्कालीन सरकारों ने इस पर निर्णय लिया होता तो देश की स्थिति कही और बेहतर होती | कुछ विद्वानों का मत है की जनसँख्या के नियंत्रण के अन्य उपाएँ पर सोचना चाहिए जबकि हकीकत यह है की जब तक कोई भी निति नियम सरकार लागू नहीं करती हम कई बातों से बधें रहतें है, फिर चाहे धर्म हो, जाति हो, रितिरिवाज हो या फिर कुछ और | केंद्र सरकार को इस विषय में त्वरित निर्णय देश के हित में लेने की जरूरत है | हालाँकि कुछ राज्य सरकारों ने इस पर पहल किया पर चुनाव हो जाने के पश्चात् उसे ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया है | देश के हित में इन मुद्दों पर कोई भी सोचेगा तो, यह अति आवश्यक प्रतीत होगा की तत्काल जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए अन्यथा की स्थिति में देश का वर्तमान परिवेश सभी के सामने है | अब समय की मांग के अनुसार देखा जाए तो जनसँख्या नियंत्रण कानून आवश्यकता नहीं बल्कि बाध्यता बन गया है |
 

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