डॉ. भरत मिश्र प्राची
देश को आजाद हुए 75 वर्ष होने जा रहे है । देश आजादी की 75वीं वर्षगाठ पर अमृत महोत्सव भी मनाने जा रहा है जिसपर हर घर पर तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया है। सरकार के इस निर्णय से देश तिरंगामय नजर आयेगा। पर इन 75 वर्ष में जो कुछ नजर आ रहा वह सभी के सामने है जहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पहले से ही विेकास के गीत की धुन सुनाई देने लगी है। देश में किस तरह का विकास हुआ कि आज फिर से आजादी की जंग शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार के चरण दिन पर दिन देश की अस्मिता को दबाते जा रहे है। महंगाई आम जन को लीलती जा रही हैं। संसद मे कोई चप्पल फेंक रहा है तो कोई अपमानित घुट पी रहा है, तो कोई संसद में चर्चा के दौरान खराटें लेकर, उलूल जूलूल बातें कर, संसद छोड़कर संसद का कीमती वक्त बर्बाद कर रहा है। महंगाई बढ़ती जा रही है, आतंकवाद से देश परेशान है। देश का धन विदेशी बैंक की शोभा बढ़ा रहा है। देश में विकास कम नाम विदेशियों को बुलाने एवं उनके हाथ सबकुछ सौंपने की तैयारी चल रही है। देश के उद्योग धंधे धीरे - धीरे बंद होते जा रहे हैं। देश की प्रतिभा का पलायन जारी है। टैक्स का दायरा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। वायु को छोड़ आज सभी चीजों पर एक नहीं अनेक प्रकार का टैक्स यहां आम जन को चुकाना पड़ रहा है जहां आय छोटी लगने लगी है। अब तो मकान मालिक के साथ -साथ किराये में रहने वालों को भी 18 प्रतिशत जीएसटी देने की बात सामने आरही है। आज यहां हर आम आदमी टैक्स से परेशान है । दूसरी ओर जनता के सेवक कहे जाने वाले जन प्रतिनिधि आराम जीवन व्यतीत करने वाले वेतन भोगी हो चले है। इनक भत्ते एवं इनकी सुविधाओं में दिनदुनी रात चौगनी वृृद्धि होती जा रही है। एक तरफ देश की आवाम टैक्स के भार तले दबती जा रही है, महंगाई से पीस रही है तो दूसरी ओर जनतंत्र के रखवाले सुख सुविधा बटोरने में मशगूल है। संसद में चर्चा होती है, बहस होती है, और फिर पूर्व की तरह सबकुछ यथावत दिखने लगता है। जैसे अभी संसद में महंगाई को लेकर जिस तरह विपक्ष की आवाज अनसुनी की जा रही है,देश में विपक्ष की भूमिका नगण्य हो चली है। इस तरह के हालात में समस्या कैसे हल होगी, विचारणीय मुद्दा है। भ्रष्टाचार के कदम बढ़ते ही जा रहे है। इस मामले को लेकर अभी तक जो कार्यवाही प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सामने आ रही है, भ्रष्टाचार की एक नई तस्वीर उजागर कर रही है जबकि यह कार्रवाही अभी तक एकतरफा ही दिखाई दे रही है। जब यह निष्पक्ष रूप से सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक कार्रवाही देश के सभी जननेताओं की होगी तो पता चलेगा कूंए में कितनी भांग घुली है। इस तरह के अनेक उदाहरण यहां मिल जाएंगे जहां आजादी के वास्तविक परिवेश पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। क्या इन्हीं हालातों के लिये देश के लोगों ने कुर्बानियां दी। आज फिर से आजादी की बात उभरने लगी है। यह अच्छी बात है कि देश आजादी की 75वीं वर्षगाठ जिस रूप में मनाने जा रहा है हर भारतीय के दिल में आजादी की अलख जगेगी एवं आजादी के लिये दी गई कुर्बानियां की नई यादगार नई अलख जगायेगी। इस अमृत महोत्सव की अलख एक ऐसे नये भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये जहां भ्रष्टाचाररहित भारत की नई दिशा एवं दशा का स्वरूप उजागर हो सके। जहां देश की रक्षा की अलख हर भारतीय के दिल में ऐसी जगे जहां शुद्ध राजनीतिक वातावरण में भारत का नवनिर्माण हो सके। अमृत महोत्सव उपरोक्त दोष रहित नव भारत का नया स्वरूप उजागर करने में सफल अभियान होगा।