कानपुर। मकर संक्रांति पर्व को लेकर भोर से ही श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा में स्नान को लेकर प्रशासन ने साफ सफाई की व्यवस्था के साथ बचाव टीम को भी तैनात किया था।
मकर संक्रांति को लेकर पंडित व ज्योतिषाचार्य विशाल द्विवेदी ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है। इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है। इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए। कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।
उन्होंने बताया कि जो मकर संक्रांति में इन छह प्रकारों से तिलों का उपयोग करता है, वह इहलोक और परलोक में वांछित फल पाता है। तिल का उबटन, तिलमिश्रित जल से स्नान, तिल-जल से अर्घ्य, तिल का होम, तिल का दान और तिलयुक्त भोजन। रात को तिल व उसके तेल से बनी वस्तुएं खाना वर्जित हैं। साथ ही उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के नामों का जप विशेष हितकारी होता है।