कानपुर नगर। यू तो पूरे भारत वर्ष में होली का पर्व बडे ही उत्साह और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर की होली, अपनी ही अनूठी एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं के लिए पूरे देश में अपना विशेष महत्व रखती है। यह बात कानपुर हटिया होली महोत्सव कमेटी के पदाधिकारियों ने कही।
कानपुर की होली में भी हटिया की होली का विशेष महत्व है या यूं कहे कि पूरी होली की परम्परा और गंगा मेंला हटिया के परम्परागत तरीके से पूरे शहर में मनाया जाता हैं आगामी 6 मार्च सोमवारी को होली है और होली मे आग लगने के साथ ही कानपुर में आनन्द का उत्सव शुरू हो जाता है तो कानपुर कीक हटिया होली, गंगा मेला तक जारी रहता है। कानपुर हटिया होली महोत्सव कमेटी के पदाधिकारियों में ज्ञानू विश्नोई ने बताया कि इस बार 82वां होली का मेला दिनांक 13 मार्च, दिन सोमवार को अनुराधा नक्षत्र में प्राचीन परम्परा के अनुसार होगा। उन्होने बताया कि कानपुर का यह गंगा मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है। पूर्व में सन् 1942 में ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कानपुर में होली खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, तब हटिया के युवकों ने यह तय किया था कि यह हमारा धार्मिक त्यौहार है और हम इसे पूर्व उल्लास से मनायेंगे। हटिया के रज्जन बाबू पार्क में क्षेत्रीय नवयुवक बाबू गुलाब चन्द सेठ के नेतृत्व में एकत्र हुए और तिरंगा फहराकर भारत माता की जयघोश के साथ रंग खेलना प्रारम्भ किया लेकिन हटिया पार्क को चारो तरफ से अंग्रेजी प्रशासन ने घेर लिया और नव युवकों को जेल में डाल दिया। इसकी प्रतिक्रिया मंे पूरे नगर में जमकर होली खेली गयी और ऐलान किया गया कि जब तक युवक नही छोडे जायेगे निरन्त होली खेली जायेगी। इस लिए आज भी यहंा सात दिन बराबर रंग खेला जाता है। अनुराधा नक्षत्र के दिन ब्रिटिश सरकार को झुकना पडा और बंदी युवको को रिहा किया गया, तभी से कानपुर में होली समापन अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेले के रूप में मनाया जाने लगा।
होली मेले का जिलाधिकारी कानपुर व पुलिस कमीशनर तिरंगा फहराकर करेंगे शुभारम्भ
होली के गंगा मेला यानि 13 मार्च को पौने दस बजे क्रान्तिकायिों के शिलालेख में पुष्पांजलि करके कानपुर के जिलाधिकारी तथा पुलिस कमीशन तिरंगा झण्डा फहराकर परंपरा की शुरूआत करेगे साथ ही पुलिस बैण्ड द्वारा राष्ट्रीय धुन बजाई जाती है। उसके बाद ठेके का शुभारम्भ हटिया रज्जन बाबू पाक से होगा। इसे रंगों को ठेला भी कहते है जो रज्जन बाबू पार्क से होकर जनरलगंज बाजार, मनराम बगिया, मेस्टर रोड, चौक, टोली बाजार, कोतवालेश्वर मंदिर चौक, चौक सर्राफा, बीच वाला मन्दिर, होते हुए कोतवाली चौराहा, संगमलाल मंदिर, कमलाटावर, फीलखाना, बिरहाना रोड, नया गंज, शतरंगी मोहाल, लाठी मोहाल व जनरलगंज बाजार से होते हुए वापस हटिया के रज्जन बाबू पार्क पर पूर्व विश्राम लेगा।