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मकर संक्रान्ति पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी

Lakhs of devotees take holy dip in Ganga on Makar Sankranti festival
Highlights दशाश्वमेध घाट से लेकर गोदौलिया तक मेले जैसा नजारा गंगाघाटों पर सुरक्षा का व्यापक इंतजाम

वाराणसी, 15 जनवरी (हि.स.)। मकर संक्रांति पर्व पर लगातार दूसरे दिन रविवार को भी लाखों श्रद्धालुओं ने सर्द हवाओं, ठंड और गलन के बीच पतित पावनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने घाटों पर दान पुण्य के बाद बाबा विश्वनाथ के दरबार में भी हाजिरी लगाई। श्रद्धालु स्नानार्थियों के चलते दशाश्वमेध से लेकर गोदौलिया तक मेले जैसा नजारा रहा। इस दौरान गंगाघाटों पर सुरक्षा का व्यापक इंतजाम रहा। जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ के जवान जहां घाटों पर मुस्तैद दिखे। वहीं, अफसर भी फोर्स लेकर सड़कों पर पैदल मार्च करते रहे।

पर्व पर गंगा स्नान के लिए भोर में ही वाराणसी सहित पूर्वांचल के ग्रामीण अंचल से आई महिलाएं सिर पर गठरी लिए नंगे पाव घाटोंं पर आती रहीं। काशीवासियों के साथ देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु भी भोर से ही पुण्यकाल में गंगा घाट पर स्नान के लिए पहुंचते रहे। स्नान ध्यान, दान पुण्य का सिलसिला अपराह्न तक चलता रहा। गंगा स्नान के लिए सबसे अधिक भीड़ प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, शीतला घाट, पंचगंगाघाट, भैसासुरघाट, खिड़कियाघाट, अस्सी घाट, राजघाट, चेतसिंह किला घाट, सामने घाट पर जुटी रही।

गंगा स्नान, दान पुण्य के बाद लोगों ने बाबा विश्वनाथ और कालभैरव के दरबार में भी हाजिरी लगाई। पर्व पर दशाश्वमेध मार्ग स्थित खिचड़ी बाबा मंदिर से प्रसाद स्वरूप भक्तों में खिचड़ी बांटी गई। लोगों ने उत्साह के साथ खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद अपने घरों को रवाना हुए। उधर, जिले के ग्रामीण अंचल चौबेपुर गौराउपरवार, चन्द्रावती, परनापुर, रामपुर, सरसौल, बलुआ घाट पर भी लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। भोर के चार बजे के बाद ही गंगा तटों पर ठहरे लोग कोहरे व ठंड की परवाह किए बगैर आस्था का गोता लगाने लगे। दिन चढ़ने के मौसम साफ होने और भगवान भाष्कर के उदय होने के साथ खुशगवार मौसम में लगातार घाटों पर भीड़ लगने लगी जो दोपहर दो बजे तक चली। स्नान, दानपुण्य के बाद ग्रामीण अंचल की महिलाओं ने घरेलू सामानों की जमकर खरीदारी की।

शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण के छह माह को दिन कहा जाता है। दक्षिणायन को नकारात्मकता और अंधकार का प्रतीक तथा उत्तरायण को सकारात्मकता एवं प्रकाश का प्रतीक माना गया है। मकर संक्रांति वाले दिन भगवान सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर आते हैं। आज के ही दिन से सूर्य उत्तरायण होने के कारण स्नान पर्व का महत्व बढ़ जाता है। पद्म पुराण के मुताबिक सूर्य के उत्तरायण होने के दिन यानी मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य का विशेष महत्व होता है।

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