सोनभद्र। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का चल रहा तीन दिवसीय अष्टम राष्ट्रीय अधिवेशन सफलता पूर्वक समाप्त हो गया।अधिवेशन की खास बात यह रही कि देश के विभिन्न संस्कृतियों व विविधताओं से आच्छादित प्रतिनिधियों की गौरवपूर्ण उपस्थिति से अधिवेशन सफलता को प्राप्त कर सका। समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया। देश भर से आये शिक्षक प्रतिनिधि एक नई ऊर्जा, नए विचार, नए उद्देश्य के साथ अपने अपने मूल गंतव्य को रवाना हुए। इस दौरान महासंघ द्वारा पुरानी पेंशन, पदोन्नति, ट्रांसफर समेत विभिन्न मुद्दों पर माँग पत्र केंद्रीय शिक्षा मंत्री को सौंपा गया।ज्ञातव्य हो कि देश के सबसे बृहद संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अखिल भारतीय अधिवेशन का शुभारंभ कर्नाटक के चेनमहल्ली, बंगलुरू में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई एवं भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दीप प्रज्वलन कर किया।प्रथम सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए संस्कृत के विद्वान चांद किरन आहूजा ने कहा कि शिक्षा वह जो हमें ज्ञान दे, शिक्षा वह जो जीवनोपयोगी हो,शिक्षा वह जो हमें साथ रहना सिखाए और शिक्षा वह जो हमें मानवता सिखाए।वहीं अधिवेशन के द्वितीय दिन पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदुरप्पा ने अधिवेशन को सम्बोधित किया।मुख्यमंत्री ने एवं केंद्रीय मंत्री ने शिक्षकों की हर समस्याओं को यथासंभव समाधान करने का पूर्ण आश्वासन अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया। सायंकाल के सत्र में विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। अधिवेशन में सोनभद्र से टीम में शामिल अखिलेश वत्स, अशोक मिश्र, सौरभ कार्तिकेय श्रीवास्तव, गणेश पांडेय, रविकांत सिंह मौर्य, बृजेश कुमार सिंह, देवेंद्र गंगवार, दिनेश, आनंद आदि ने दमदार उपस्थिति प्रदर्शित करते हुए शिक्षकों की समस्याओं को उठाया।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ समाप्त, कई प्रस्ताव हुए पास

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सोनभद्र टीम ने सक्रिय सहभागिता के साथ दर्ज कराई अपनी दमदार उपस्थिति
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