वाराणसी। मकर संक्रांति पर्व पर लगातार दूसरे दिन रविवार को भी काशी पुराधिपति की नगरी में बच्चों के साथ युवाओं ने भी जमकर पतंगबाजी की। अलसुबह से ठंड और सर्द हवाओं के बीच घरों से लेकर गंगाघाटों और उस पार रेती पर भक्काटे की आवाज गूंजती रही। पूर्वाह्न में मौसम साथ होने और धूप निकलने के बाद एक दूसरे की पतंग को काटने, पेच लड़ाने की होड़ मची रही। पूरे दिन आसमान में सतरंगी पतंगें हवाओं के रुख के अनुरूप इठलाती रहीं।
पर्व पर युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं, सभी ने पतंगबाजी में हाथ आजमाए। छतों और मैदानों पर डीजे भी बजते रहे। पतंग उड़ाते समय युवा और बच्चे कभी-कभी पतंग को नीचे ले आते थे और अचानक फिर से आसमान की ओर पतंगों का रुख कर दे रहे थे। कटी पतंग को लूटने के लिए बच्चों में होड़ मची रही। बच्चे उड़ती पतंग में लंग्गड़ मारकर खींचे और पतंग लूटे। पर्व पर पूरे दिन दुकानों पर पतंगों और मंझों की खरीदारी होती रही। बच्चों ने कार्टून कैरेक्टर वाले पतंग बाजार से खरीदे।
छोटे बच्चों की पतंगों में परिजनों ने गुब्बारे बांध दिए थे। बच्चे गुब्बारे और पतंग को उड़ता देख खुशी से आह्लादित दिखे। उधर, सड़क या गलियों में दो पहिया वाहनों से सफर कर रहे लोगों में चायनीज मंझे का खौफ भी दिखा। लोग सिर और गर्दन शाल और मफलर से बांध हेलमेट पहन कर सावधानी से वाहन चलाते रहे।
पर्व पर भोर में घरों में चहल पहल शुरू हो गई थी। गंगा स्नान या घर में स्नान करने के बाद बच्चे अपनी-अपनी पतंगों के साथ घर के छतों पर डट गए। तो कुछ मैदानों में दोस्तों के साथ मिलकर पतंगबाजी करने लगे। सुबह नौ बजे धूप खिलने के साथ पतंगबाजी परवान चढ़ती रही। कई जगहों पर युवा डीजे की धुन पर थिरकते नजर आए। छत पर पतंग उड़ा रहे युवाओं ने दोस्तों और परिजनों के साथ खूब सेल्फियां लीं और उसे सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ साझा करते रहे और पर्व की बधाई भी देते रहे।