हरदोई। माँ आशा फाउंडेशन के तत्वावधान में नवसंवत्सर पर कृष्ण नगरिया स्थित संस्था के कार्यालय में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से समां बाँधा।
गोष्ठी की शुरुआत कवि पवन प्रगीत की वाणी वंदना से हुई। नवोदित कवि तेजस्वी अवस्थी ओम ने "‘अवस्थी’ जान लो जब भी समय करवट बदलता है, यहां फिर शेर के भी शेर बाजी हार जाते हैं। " कविता पढ़ वाहवाही लूटी। कवि गीतेश दीक्षित ने "हर बरक़ हर गीत तेरे नाम है !बिन तुम्हारे फिर अधूरी शाम है !!" गीत पढ़ समां बाँधा।
कवि अजीत शुक्ल की रचना "तम हर उजाला दे वही सविता है। जो रोते को हँसाये वही कविता है।।" काफी सराही गई। कवि आशुतोष सिंह ने "ये गाड़ी, पैसे, ऊंचे बंगले राजाओं के होते हैं। पैसे वालों के बच्चे तो चांदी के आंसू रोते हैं।। पर मेरा जिस दिन पेट भरे वो होता त्योहार कोई,मैं उस चौके का बर्तन हूं जहां बच्चे भूखे सोते हैं।" कविता पढ़ तालियां बटोरीं।
संचालन कर रहे कवि वैभव शुक्ल ने जाने कितने गीत अधूरे,छूट गये तेरी चौखट पर । जैसे विस्मित हो गए मेरे, भाव हृदय से सुन्दर सुन्दर। " गीत पढ़ा। गीतकार पवन प्रगीत ने "तुलसी को मिल गए केशव को मिल गए, अब मेरी कविता में आओ प्रभु राम जी" रचना पढ़ वाहवाही लूटी। संस्थाध्यक्ष अजीत शुक्ल ने कवियों का आभार व्यक्त किया।