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सावरकर सम्मान के मोहताज नहीं, वे तो हैं ही भारत रत्न: देवेन्द्र फडणवीस

Savarkar is not worthy of respect, he is Bharat Ratna Devendra Fadnavis

इंदौर। महाराष्ट्र से बाहर बसे मराठी भाषियों की संस्था बृहन्महाराष्ट्र मंडल के 71वें अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इंदौर पहुंचे तो मराठी भाषियों ने एक स्वर में ‘वीर सावरकर यांना भारत रत्न मिळायलाच पाहिजे (वीर सावरकर को भारत रत्न मिलना ही चाहिए) के नारे लगाए। इस पर फडणवीस ने कहा कि ‘वीर सावरकर सम्मान के मोहताज नहीं हैं। उनको भारत रत्न मिले या न मिले, वे तो भारत रत्न ही हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार पहले ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज चुकी है कि वीर सावरकर को भारत रत्न दिया जाए, लेकिन अभी इसकी घोषणा होना बाकी है।’

दरअसल, इंदौर के राऊ स्थित एमरल्ड हाइट्स स्कूल में जारी बृहन्महाराष्ट्र मंडल के तीन दिवसीय अधिवेशन का आयोजन हो रहा है। इस बार अधिवेशन में सावरकर को भारत रत्न देने की मांग, महाराष्ट्र सरकार द्वारा मंडल के लिए पृथक से बजट पारित करने और महाराष्ट्र से बाहर रह रहे मराठी भाषियों को नेतृत्व करने का अवसर दिलाने जैसे विषयों को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। शनिवार को आयोजन में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री फडणवीस भी शामिल हुए। इस मौके पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी उपस्थित थे।


विकास के लिए आवश्यक है स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा का संवर्धन


फडणवीस ने कहा कि अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि विकास के लिए आवश्यक है स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा का संवर्धन। 2025 में दिल्ली में होने वाले बृहन्महाराष्ट्र मंडल के आयोजन के सुचारू संचालन के लिए महाराष्ट्र सरकार हर संभव प्रयास करेगी। संस्था का यह शताब्दी समारोह किसी भवन में नहीं बल्कि स्टेडियम में होगा, जहां 50 हजार मराठी भाषी एकत्रित होंगे। यह जिम्मेदारी भी महाराष्ट्र सरकार निभाएगी। उन्होंने कहा कि यह शहर देवी अहिल्याबाई होलकर का है। जिन्होंने मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य किया था। उनके बाद उनके कार्य को यदि किसी और ने आगे बढ़ाया है तो वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। उन्होंने देश की संस्कृति के संवर्धन के लिए कार्य किया है।

विघटनकारी को सुधारने की जिम्मेदारी समाज की : भय्याजी जोशी

अधिवेशन में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भय्याजी जोशी भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हर प्रदेश की अपनी विशेषता है। महाराष्ट्र संतों की भूमि रही और यहां गोपालकृष्ण गोखले, वीर सावरकर सहित कई देशभक्त हुए। महाराष्ट्र कला और संस्कृति का भी धनी है। हमें अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। समाज में सभी तरह के लोग होते हैं। कुछ समाज के हित में कार्य करते हैं और कुछ समाज का अहित करते हैं। हमें अहित करने वालों को सुधारना होगा। हमारी संस्कृति ‘शत्रु बुद्धि विनाशाय’ की बात कहती है इसलिए हमें शत्रु भाव को सुधारना होगा। समाज का कार्य कुरीतियों को रोकना है और उदारता का संदेश दुनिया तक पहुंचाना है।


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