झांसी। सनातन धर्म ही नहीं बल्कि विश्व के सभी धर्मों में जल का आदर किया जाता है। भगवान विष्णु जल में निवास करते और मां लक्ष्मी उनके चरण दबाती हैं। जो जल का आदर करेगा वह निश्चित रूप से धनवान होगा। ऐसा मेरा मानना है।
मंदिरों में भी चरणामृत के रूप में जल को चम्मच से दिया जाता है क्या यह जल संरक्षण का सबसे बड़ा उदाहरण नहीं है। विश्व का हर धर्म जल का आदर करता है। आज जल दिवस के अवसर पर लोगों से मैं जल का आदर करने व उसे बचाने का निवेदन करता हूं। यह कहना है हाल ही में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किए गए जल योद्धा उमा शंकर पांडे जखनी का। वह यहां जल संरक्षण के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। अपने पद्मश्री सम्मान के लिए उन्होंने कहा कि पद्मश्री का रास्ता भी खेतों से ही होकर जाता है।
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए भारत के लाखों भागीरथों ने प्रयास किया है। बड़े जल योद्धा के रूप में उन्होंने छह लोगों का प्रमुख रूप से विवरण देते हुए बताया कि पहले बड़े जल योद्धा भागीरथ है, जिन्होंने मानव के कल्याणकारी पतितपावनी जीवनदायिनी मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का कार्य किया। इसके लिए उनके 60 हजार साथियों ने अपने आपको आहूत किया था।
इसके अलावा दूसरी बड़ी जल योद्धा माता अनुसूइया है, जिन्होंने मां मंदाकनी को पृथ्वी पर उतारा। तीसरे बड़े जल योद्धा महाराज भोज हैं। जिन्होंने विश्व का सबसे बड़ा तालाब खुदवाया। इसके अलावा महारानी दुर्गावती जिन्होंने हजारों तालाब बनवाए। तो वहीं महारानी अहिल्याबाई होल्कर, जिन्होंने न केवल महाराष्ट्र बल्कि गया जी तक तालाब बनवाने का कार्य किया। ऐसी और भी कई बड़े चली होता है जिन्होंने पानी को बचाने का बड़ा कार्य किया है और इसी से भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है क्योंकि यहां जल को संरक्षित करने का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें अपने घर से शुरुआत करनी चाहिए। अगर प्रतिदिन हमने 10 लीटर भी जल को बचाने का काम किया तो बड़ा कार्य हो जाएगा। आज विश्व जल दिवस के अवसर पर मेरा सभी भारतवासियों को यही संदेश है कि जल संरक्षित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाने का कार्य करें ताकि देश विश्व में जल संरक्षण के मामले में सबसे समृद्धशाली बन सके।
जखनी के एक सामान्य जल संरक्षण कार्यकर्ता से लेकर पद्मश्री तक की यात्रा के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पद्मश्री का रास्ता भी हमारे खेतों से होकर गुजरता है। आज भी वह अपने बैग में औजार लेकर चलते हैं और कहीं भी अगर पानी बर्बाद होते देखते हैं तो उसे ठीक करने के लिए जुट जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसीलिए जहां कहीं भी उनका कार्यक्रम होता है तो प्रशासनिक अधिकारी इस बात का ध्यान रखते हैं कि रास्ते में कहीं जल बर्बाद होता न दिखाई दे।
हर धर्म में किया जाता है जल का आदर : पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय
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खेतों से होकर जाता है पद्मश्री का रास्ता