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कोरिया के जोग्ये भिक्षु संघ से बोले योगी- आप विदेश नहीं, अपने पूर्वजों के घर आए हैं

Yogi said to Korea"s Jogye Monks Association - You have come to your ancestors" home, not abroad
Highlights भारत और दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंधों के पचास वर्ष पूर्ण जोग्ये भिक्षु संघ के अभिनंदन समारोह को योगी ने किया संबोधित

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत-दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंधों के पचास वर्ष पूर्ण होने पर बुधवार को कोरिया जोग्ये भिक्षु संघ के अभिनंदन समारोह को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंध शताब्दियों पुराने हैं। इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के घर में आए हैं। कोरिया के ध्यान पंथ श्योन की उत्पत्ति श्रावस्ती के जैतवन से हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी ने जलमार्ग से दक्षिण कोरिया की यात्रा की थी। जहां उनका विवाह राजा किम सुरो के साथ हुआ। वहां उनका नाम हू वांग आंक पड़ा। उन दोनों से कड़क वंश की स्थापना हुई। वर्तमान समय में दक्षिण कोरिया में एक बड़ी आबादी इस वंश की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया और भारत के संबंध एक नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं। वर्ष 2018 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन और प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की नई मोबाइल फोन निर्माण इकाई का संयुक्त रूप से उद्धघाटन किया था।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया की स्वतंत्रता की तिथि 15 अगस्त है। वर्तमान में भारतवासी अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के उपरांत अमृत काल के प्रथम वर्ष में प्रवेश किये हैं। भारत और दक्षिण कोरिया जी-20 समूह के सदस्य हैं। अपनी आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस वर्ष जी-20 की थीम एक धरा, एक परिवार और एक भविष्य है। यह भारत की प्राचीन वसुधैव कुटुंबकम के भाव से जोड़ती है। पूरी दुनिया में जब मैत्री और करुणा की बात होती है तो विश्व मानवता भगवान बुद्ध की बात करती है। उप्र के लिए यह गौरव का विषय है कि भगवान गौतमबुद्ध से जुड़े अनेक स्थल यहां पर हैं। भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का दो तिहाई हिस्सा उप्र में बिताया था।
योगी ने कहा कि वाराणसी के समीप सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक 25 वर्षावास श्रावस्ती में व्यतीत किया था। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में पवित्र बौद्ध स्थल श्रावस्ती, कपिलवस्तु, देवदह, कुशीनगर, संकिशा, ललितपुर, देवगढ़, आई छत्र बरेली और कौशांबी बौद्ध हैं। उत्तर प्रदेश देश का एक मात्र राज्य है जहां सरकारी स्तर पर संचालित विशाल बुद्ध विहार शांति उपवन है। हमारे प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान भी है। प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश सरकार सभी बौद्ध स्थलों को विकसित कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालित हो गया है। श्रावस्ती एयरपोर्ट का विकास युद्ध स्तर पर चल रहा है। महात्मा बुद्ध के नाम पर हम एक कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुशीनगर में ही स्थापित करने जा रहे हैं।
कार्यक्रम में जोग्ये भिक्षु संघ के नायक जोस्यून, दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत अमित कुमार, भारत में दक्षिण कोरिया के उप राजदूत सांग हो लिम, इंटरनेशनल इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया की सैंगवोल सोसाइटी इस पैदल यात्रा की आयोजक है। कोरिया के बौद्ध भिक्षुओं की यह यात्रा सारनाथ से शुरू होकर, बोधगया, गृद्धकूट पर्वत राजगीर, नालंदा, वैशाली, कुशीनगर, लुंबनी, कपिलवस्तु के दर्शन करते हुए श्रावस्ती में सम्पन्न हुई थी। इसके बाद बौद्ध भिक्षु लखनऊ पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री योगी ने उनका अभिनंदन किया। भिक्षु संघ ने 43 दिनों में 1168 किमी. यात्रा की है।

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