देश के सर्वांगीण विकास में स्वस्थ धार्मिक वैचारिकता और कर्मठ समाज की महत्वपूर्ण भूमिका

Date:

Share post:

स्वास्थ्य की रक्षा, स्वस्थ धार्मिक विचारधाराएँ और समय का समुचित सदुपयोग सफलता के श्रेष्ठ मार्ग

संजीव ठाकुर, चिंतक, लेखक,

मानव जीवन में स्वस्थ धार्मिक मान्यताएं व्यतिगत और सामाजिक स्वास्थ्य सबसे बडे विकास का पैमाना होता हैl मनुष्य यदि स्वस्थ्य नहीं रहता तो वह न तो परिवार,धर्म व समाज में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है और ना ही राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकता हैl इसी तरह समय को भी धन ही कहा जाता है समय का जो सही सदुपयोग करता है वह उन्नति के शिखर पर होता हैl मजबूत राष्ट्र सदैव समय की कीमत समझता है और जो समय की कीमत समझता है समय उसकी कीमत समझता हैl समय का सही सदुपयोग न करने वाले अस्वस्थ मनुष्य का जीवन निराश एवं कुंठा ग्रस्त रहता हैl इसीलिए स्वास्थ्य को जीवन का अनमोल रत्न माना जाता है या यूं कहें कि स्वास्थ्य ही धन होता हैl इसीलिए भारत में 2019 को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर फिट इंडिया अभियान की शुरुआत की गई, जिसके माध्यम से लोगों को खेल और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाना है जिससे स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत और सशक्त भारत का निर्माण हो सकेl भारत को एक प्रगतिशील एवं मजबूत राष्ट्र बनाने की आवश्यकता हैl इसी संदर्भ में भारत सरकार द्वारा एक महत्वकांक्षी योजना बनाकर इसके माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना हैl इस अभियान को जन आंदोलन के रूप में पूरे भारत में विस्तृत कर पूरे भारतीय जनमानस को स्वास्थ्य के प्रति स्वच्छता के प्रति लगाव पैदा कर पूर्व संपूर्ण भारत को स्वस्थ बनाने का धीरे लेकर आगे बढ़ना होगाl फिट इंडिया मूवमेंट आगामी कई वर्षों तक संचालित रहेगा स्वास्थ्य को लेकर अलग-अलग विषयों पर अभियान चलाया जाएगा शुरुआत शारीरिक फिटनेस से,फिर भोजन की आदतें, तीसरे वर्ष पर्यावरण अनुकूलता और जीवन शैली पर प्रभाव,फिर रोगों तथा बीमारियों को दूर करने के तरीकों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा भारत सरकार की स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार 1990 से लेकर 1920 के बीच गैर संक्रामक बीमारियां बढ़ने की दर 55% हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुपोषण के आंकड़े और भी ज्यादा गंभीर है। भारत सरकार की स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार हार्ट फेल, टी बी,अस्थमा डायबिटीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज की वजह से देश में सबसे ज्यादा मृत्यु होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सबसे स्वस्थ्य देशों की सूची में भारत का प्रदर्शन काफी निराशाजनक है। इस रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य की सूची में स्पेन पहले नंबर पर है और भारत 120 वें नंबर पर है। भारत के संदर्भ में यह आंकड़े अत्यंत प्रतिकूल हैं,यह दर्शाते हैं कि भारत की आम जनता स्वास्थ तथा फिटनेस के प्रति कितनी गैर जिम्मेदार है। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही के कारण हर साल भारत में हजारों लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। स्वास्थ्य गत कमी के कारण लोगों की मृत्यु तो होती ही है, साथ में आर्थिक क्षति की बहुत बड़ी होती है। इतनी ज्यादा मृत्यु तथा आर्थिक क्षति से देश की प्रगति तथा विकास में भी बाधा उत्पन्न होती है। भारत में वस्तुतः सभी प्रकार की बीमारी का मूल कारण भारतीय जनमानस की अनियमित जीवन शैली है। लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते, व्यायाम करने की जगह आराम करना पसंद करते हैं,जिस कारण भारत में स्वास्थ्य संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और इसीलिए फिट इंडिया मूवमेंट के संचालन की आवश्यकता बढ़ गई है, जिससे लोगों को उनकी सेहत के प्रति जागरूक किया जाना अत्यंत आवश्यक है। पूरा विश्व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक है पड़ोसी देश चीन ने स्वस्थ चाइना मिशन 2030 तक चलाने का एक कार्यक्रम बनाया है। ऑस्ट्रेलिया ने भी वर्ष 2030 तक अपने नागरिकों को आलस भगाने तथा शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने का मिशन चलाया है। जर्मनी ने फिट इनडीड ऑफ फैट अभियान चला रखा है। अमेरिका भी एक विशाल देश है जहां 32 करोड़ जनसंख्या है, उसने भी अपने नागरिकों को स्वस्थ तथा फिट रखने का अभियान चलाकर लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग मुहैया करा दी है। मूलतः स्वस्थ रहने से अनेक बीमारियां स्वतह दूर चली जाती हैं, एवं बीमारियों में होने वाला खर्च की बचत भी होती है। इसके अलावा स्वस्थ व्यक्ति की कार्य क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है। स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन राष्ट्रीय निर्माण में सहायक होता है। नियमित व्यायाम तथा योगा करने से हार्ट, डायबिटीज,ब्लड प्रेशर आदि की बीमारियों से बचा जा सकता है हिंदुस्तान में ह्रदय रोग डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के लाखों मरीज Pहैं, और सबसे ज्यादा इलाज में इन्हीं लोगों में धनराशि खर्च की जाती है अतः जनमानस को स्वस्थ रखकर इन बीमारियों से दूर रखने के लिए भारत सरकार ने क्विट इंडिया मूवमेंट चला रखा है जिससे जनमानस का स्वास्थ अच्छा रहकर विकास तथा प्रगति की राह पर इनके योगदान को बढ़ाया जा सके। शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार व्यक्ति के जीवन में पारिवारिक व्यक्तिगत संबंधों एवं व्यवसाय तथा आर्थिक गतिविधियों एवं हर सामाजिक पहलू पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को भी कम करके आप परिवार तथा समाज में सहायता प्रदान कर सकते हैं, एवं इससे आपको आर्थिक लाभ का भी फायदा होता है। भारत में यदि स्वस्थ्य जनमानस होगा तो सकल घरेलू उत्पाद में 2 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी होगी क्योंकि स्वास्थ्य में सुधार होने से बीमारी में होने वाले खर्च में बहुत कमी होने की संभावना होती है। इस तरह राष्ट्रीय परिपेक्ष में आमजन को स्वस्थ रहना सरकार की सफलता ही होगी। क्योंकि व्यक्ति से समाज बनता है और समाज से राष्ट्र बनता है एक व्यक्ति का मस्तिष्क तथा शरीर यदि स्वस्थ रहें तो संपूर्ण समाज स्वस्थ रहेगा और इस तरह संपूर्ण राष्ट्र स्वस्थ रहेगा और स्वस्थ रहने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार पूरे देश में होगा। इस तरह राष्ट्र की प्रगति तथा विकास द्रुत गति से होने लगेगा, अतः स्वस्थ रहें मस्त रहें और यह समझ ले कि स्वास्थ ही एक बड़ा धन होता है।

Author

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Related articles

मऊ: मौसम ने बदला करवट, अस्पतलों में बढे डेंगू व वायरल फीवर के मरीज

जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1100 से 1200 मरीजों हाे रहा पंजीकरण अस्पताल में 40 प्रतिशत से अधिकों की भीड़...

मऊ: बेटा-बेटी में न करें भेदभाव, हर बच्चा है अनमोल

जनसंख्या नियोजन के तहत आयोजित किए गए सास बहू सम्मेलन विजेता प्रतिभागियों को किया गया पुरस्कृत मऊ। जनसंख्या नियोजन कार्यक्रम...

बहराइच: जिला पंचायत सदस्य के कारखाने में चल रहे जुए के अड्डे का खुलासा, एक दर्जन जुआरी पकड़े गए, बाइक व नगदी बरामद

जुए के अड्डे के संचालन में नगर कोतवाल की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर एसपी ने किया लाइन...

विदेशों में शिक्षा प्राप्त कर वहीं बसने का क्रेज़ का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है

पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि चिंता का विषय है। सबसे ज्यादा...