अवधी व्यंजनों की महक से भर उठा अवध महोत्सव, लखनऊ की मेहमान नवाजी के किस्से भी सुनाए गए
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कवियों ने व्यंग्य के तीर छोड़े, तो ठुमरी भी सुनाई दी
बुधवार को महोत्सव का 5वां और अंतिम दिन, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह होंगे मुख्य अतिथि
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहे अवध महोत्सव की शाम मंगलवार को अवधी व्यजंनों की महक से भर उठी। वहां आए लोगों को स्वादिष्ट मेवा पड़ी हुई खीर, गन्ने का रसावल सहित बहुत चीजों का स्वाद चखने को मिला। वहीं कवियों के पाठ में कही व्यंग्य के तीर चले तो कहीं सीख भी मिली। इसके अलावा कभी इस शहर की शाही सवारी समझे जाने वाले तांगे की दौड़ का भी लोगों ने मजा उठाया।
गोमती नगर के उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी परिसर में पर्यटन विभाग और उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की ओर से आयोजित महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या में संगीत के कई रंग दिखाई दिए। उत्सव की शुरुआत में आए विशिष्ट अतिथियों व दर्शकों का अकादमी की ओर से स्वागत किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम, विशेष सचिव, संस्कृति, आनंद कुमार व उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी के निदेशक तरुण राज विशेष रूप से उपस्थित हुए। बुधवार को महोत्सव का अंतिम दिन है। प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह समापन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।
कद्दू की खीर बनाई गई
महोत्सव में शेफ डाॅ इज्जत हुसैन के संयोजन में आयोजित अवधी व्यंजनों की प्रतियोगिता में करीब 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा होटल मैनेजमेंट कर रहे विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। प्रतियोगिता में एक प्रतिभागी ने कद्दू की स्वादिष्ट खीर बनाई, जिसमें उसने जाफरान और कई बादाम, काजू सहित कई मेवे भी डाले। शेफ डाॅ हुसैन ने बताया कि जाफरान बहुत महंगा मिलता है और यह कश्मीर में पैदा होता है। इसके अलावा कई तरह की खीर, वेज बिरयानी, गोभी मुसल्लम् गन्ने का रसावल, सहित बहुत चीजें बनाई, देखने वालों के मुंह में पानी आ गया।
कविताओं में दिखे अलग-अलग रंग
वहीं शहर के हास्य कवि और इस्माईल मैन के उपनाम से मशहूर सर्वेश अस्थाना के संचालन में हुए कवि सम्मेलन में कहीं व्यंग्य के तीर चले तो कहीं नेक सलाह भी दी गई। स्वयं सर्वेश जी ने अपनी कविता में सीख दी कि ’रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है। सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है।
पेशे से वकील कवि विनोद मिश्रा ने व्यवस्था पर तंज कसा कि ’हम समझ गए, हम समझ गए, कानून बहुत कानूनी है। हम गए अदालत कई बार, तारीखें पाएं बार बार। जब इक तारीख नहीं पहुंचे, जज साहब का गुस्सा अपार, बोले यू जाई जेल आज, वारंट रिकाॅल न होनी है, हम समझ गए, हम समझ गए, कानून बहुत कानूनी है।
वहीं लखनऊ शहर की कवियत्री सुफलता तिवारी ने ’नीली पीली चुनरी उड़ाए रही गुड़िया, माटी की है चकिया, कि माटी के डेहरिया, माटी का है आटा, और माटी के कोचइया, माटी का खाना, बनाए रही गुड़िया, माटी मा माटी, मिलाए रही गुड़िया पढी तो श्रोता वाह वाह करने लगे। इसके अलावा सम्मेलन में प्रदीप महाजन, जगजीवन मिश्रा, डाॅ. सुधा मिश्र ने भी काव्य पाठ किया।
अरशाना आनंद ने सुनाई अवध की दास्तानगोई
वहीं शहर की दास्तानगोई करने वालीं युवा कलाकार अरशाना आनंद ने दर्शकों के सामने कुछ खास अंदाज में अपना परिचय दिया। ये एलीट अफसानों का शहर... अदीबों का शहर उनके यारानों का शहर.... जिंदगी, जिंदादिली से भरपूर चायखानों का शहर... इस खूबसूरत नज्म के साथ अरशाना ने किस्सागोई का आगाज किया। किस्सागोई जिसमें अवध का दस्तरख्वान, यहां के बेहतरीन पकवान, उनको बनाने वाले रकाबदार सब शामिल थे। ऐसे किस्से जिनमे से कुछ इतिहास में दर्ज हैं और ज्यादातर गुमशुदा। नवाब वाजिद अली शाह से लेकर सालार जंग और कुदूसिया बेगम के बहाने अवध की कुजीन की नफासत को बयां किया गया। लखनऊ न सिर्फ खाना बनाने के तरीके के जाना जाता है बल्कि यहां की मेहमान नवाजी कितनी बेमिसाल है। किस्सों के जरिए ये भी बखूबी बताया गया। अरशाना ने बताया कि ज्यादातर लोग लखनऊ का मतलब नवाब, चिकनकारी और कबाब समझते हैं, जबकि किसी शहर को बनाने में सबसे ज्यादा हिस्सा उसके मजदूरों, कारीगरों और मध्यम वर्ग के लोगों का होता है, जो किस्से उन्होंने सुनाए वो ऐसे ही लोगों की मिसाल पेश करते हैं। इनमे से ज्यादातर किस्से अब्दुल हलीम शर्रर की किताब से लिए गए हैं और कई ओरल लिटरेचर का हिस्सा हैं।
बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए...
वहीं बिहार के बांका शहर से आए गजल गायक कुमार सत्यम् ने ठुमरी ’ बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए... पेश किया तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनका इस्तकबाल किया। इसके अलावा संगीत के गोकुला घराने में गाई जाने वाली ठुमरी ’हमरी अटरिया पे आजा रे संवरियां, देखा देखी तनिक हुई जाए... सहित सोनिया अश्क की लिखी गजल ’शोर इस दर्जा मचाने की जरूरत क्या है...’ गाया तो लोगों को मजा आ गया।
शास्त्रीय संगीत की भी रही धूम
नई दिल्ली से आए त्रिभुवन महाराज और रजनी महाराज ने राग देश पर आधारित जाति आरोहम प्रस्तुत किया। जाति आरोहम बंदिश जातियों क्लस्टर है। यह भरतनाट्य और कथक का संगम होता है। इसकी कोरियाग्राफी त्रिभुवन महाराज और रजनी महाराज ने की थी। वहीं डाॅ. पवन तिवारी के निर्देशन में उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की ओर से हुई प्रदेशिक संगीत प्रतियोगिताओं के विजेताओं की प्रस्तुुति ’तालवाद्य कचहरी’ हुई।
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