कंजक्टिवाइटिस या ऑय फ्लू जिसे हम आँख आने के नाम से जानते है एक आम संक्रमण हैं जिसका सामना हम सभी ने कभी न कभी किया होगा। इस संक्रमण में आंखों में जलन होती है। मगर इस समस्या के होने पर क्या करना चाहिए तथा कैसे बचाव करना चाहिए ये कम ही लोग जानते और समझते हैं। आँखों के संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं, पर इनके मुख्य कारण होते हैं छोटे जीवाणु और वायरस से हुआ संक्रमण। आमतौर पर यह एक एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है। लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। कभी कभी ऐसे संक्रमण आँखों में कुछ चले जाने की वजह से होते हैं जैसे धुल या गन्दगी। जो लोग खराब लेंस पहनते हैं उनके भी इस संक्रमण के शिकार होने की संभावना काफी ज़्यादा रहती है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है।
अगर आंखों में हो रही हैं ये समस्याएं तो हो जाएं सावधान, आई फ्लू के हो सकते हैं लक्षण
आँखों का संक्रमण या ऑय फ्लू साधारणतः मौसम में परिवर्तन के साथ देखा जाता है। यह ठंड मौसम या बरसात के मौसम में ज्यादातर होता है | यह एक फैलने वाली बीमारी है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। एक बार यह किसी को हो जाता है, तो उसके आस पास रहने वाले लोगो में भी फैलने लगता है। आँखों में इन्फेक्शन होने पर आँख पहले गहरे पीले रंग के दीखते है फिर कुछ समय बाद आँखों का रंग बदल कर लाल हो जाता है।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण
• आँखे लाल होना
• आँखों में खुजली होना
• आँखों से धुधला दिखाई देना
• आँखों से पानी आना
• आँखों में दर्द होना
• शुरुआत में यह लक्षण एक आँख में नजर आते हैं और एहतियात या ईलाज न करने पर दुसरे आँख में भी फ़ैल सकता हैं। कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर अवस्था में कुछ रोगियों के आँख से खून भी निकल सकता हैं।
• आँखों से हरा या सफ़ेद चिपचिपा द्रव निकलने से पलके चिपकना एक बड़ा लक्षण है कंजंक्टिवाइटिस होने का।
• धुप या तेज रोशनी के प्रति असंवेदनशीलता जिसे फोटोफोबिया भी कहा जाता हैं।
आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस क्या संक्रमित व्यक्ति को देखने से भी हो सकता है संक्रमण?
ध्यान दें
• यदि कंजंक्टिवाइटिस हो गया है तो इसका घरेलू इलाज करने से पहले इन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। ऑय फ्लू में सही इलाज तभी संभव है जब कुछ सावधानियां बरती जाए
• किसी व्यक्ति से हाथ नहीं मिलाना चाहिए।
• आंखों को हाथ से नहीं रगड़ना चाहिए।
• यदि बच्चों के आंख में हो गया हो, तो उसे स्कूल नहीं भेजना चाहिए।
• आंखों को तीन-चार बार गुनगुने पानी से धोना चाहिए।
• तीन-चार दिन रोगी को आराम करना चाहिए।
• किसी दूसरे को तौलिया, रुमाल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए