breaking news New

100 दिनों तक रहने वाली खांसी होती है गंभीर बीमारी के लक्षण, जानें इसके कारण और इलाज का तरीका

Cough that lasts for 100 days is the symptoms of serious illness, know its causes and how to treat

यदि आप या आपका बच्चा कुछ दिनों से तेज खांसी से परेशान हैं तो हम आपके लिए हैं कुछ खास टिप्स। 100 दिनों की लंबी खांसी को पर्टुसिस या काली खांसी भी कहा जाता है। मौसम बदलने के कारण कुछ जगहों पर इस बीमारी के लगातार केसेस बढ़ रहे हैं।  लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सच में यह लंबी बीमारी है? इससे कैसे बच सकते हैं? आज हम इस आर्टिकल के जरिए आपको काली खांसी के लक्षण, कारण और इससे बचने के तरीका के बारे में बताएंगे।

100 दिन की खांसी क्या है?

100 दिन तक रहने वाली खांसी को पर्टुसिस भी कहते हैं। यह एक गंभीर खांसी है जिसमें सांस की नली में इंफेक्शन हो जाता है। इसमें वैक्सीन लेना बेहद जरूरी हो जाता है। खासकर अगर छोटे बच्चे को यह खांसी शुरू हो जाए तो उन्हें बिना समय गवाएं डॉक्टर के पास ले जाए। अगर इससे पीडि़त मरीज को यह हो जाए तो उसे खांसने, छींकने या बात करने से भी फैलता है। कोई भी व्यक्ति पर्टुसिस से पीडि़त हो सकता है, यह शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उन्हें यह बीमारी तुरंत अपना शिकार बना लेती है।

काली खांसी के लक्षण:

शुरुआती लक्षण (1-2 सप्ताह)

बहती या भरी हुई नाक, हल्का बुखार, हल्की खांसी (बच्चों को बिल्कुल भी खांसी नहीं हो सकती है लेकिन एपनिया या सायनोसिस का अनुभव हो सकता है)। इन लक्षणों को आसानी से सामान्य सर्दी समझ लिया जा सकता है, जिसके कारण यह बीमारी लंबे दिनों परेशान करने लगती है।

बाद के लक्षण (2-10 सप्ताह)

तेज खांसी के दौरे, अक्सर रात में परेशानी का बढऩा। जैसे ही कोई व्यक्ति सांस लेता है, तेज खांसी होने लगती है। उल्टी, थकान और सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है।

काली खांसी के कारण:

पर्टुसिस के पीछे अपराधी बोर्डेटेला पर्टुसिस जीवाणु है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता है, छींकता है या बात करता है तो यह हवा के जरिए आसानी से फैलता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से काली खांसी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

इलाज

लक्षणों की गंभीरता को कम करने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पर्टुसिस का शीघ्र पता लगाना और सही दिशा में इलाज बेहद महत्वपूर्ण है। एजि़थ्रोमाइसिन या एरिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स आमतौर पर पर्टुसिस से पीडि़त व्यक्तियों को दिए जाते हैं। ये दवाएं लक्षणों की अवधि और गंभीरता को कम करने और दूसरों में संक्रमण फैलने की संभावना को कम करने में मदद कर सकती हैं।

रोकथाम

पर्टुसिस को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। डीटीएपी (डिप्थीरिया, टेटनस और असेल्यूलर पर्टुसिस) टीका नियमित रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों को दिया जाता है। जो काली खांसी और इसकी जटिलताओं से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा नौजवानों और वयस्कों के लिए इम्युनिटी बनाए रखने के लिए टीडीएपी नामक बूस्टर वैक्सीन दी जाती है। 

Jane Smith18 Posts

Suspendisse mauris. Fusce accumsan mollis eros. Pellentesque a diam sit amet mi ullamcorper vehicula. Integer adipiscing risus a sem. Nullam quis massa sit amet nibh viverra malesuada.

Leave a Comment

अपना प्रदेश चुनें