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अल नीनो की विकसित होने से कृषि का होगा नुकसान

Meteorological Department: Agriculture will suffer due to the development of El Nino

कानपुर। आगामी मानसून में लगभग 70 प्रति नीनो के विकसित होने की संभावना है। जिससे इस वर्ष देश में सूखे की स्थिति हो सकती है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि जून, जुलाई व अगस्त में विकसित होगा। यह जानकारी रविवार को मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से मानसून को लेकर हाल ही में रिपोर्ट जारी की गई है। आईएमडी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मानसून में लगभग 70 प्रतिशत अल नीनो के विकसित होने की संभावना है। उसकी वजह से कृषि, खपत और अर्थव्यवस्था को भी खतरा हो सकता है।
हालांकि, 11 अप्रैल को आईएमडी की तरफ से कहा गया था कि अल नीनो 50 प्रतिशत विकसित होगा, साथ ही सामान्य मानसून की उम्मीद लगाई गई थी। इसके बाद अब इसका नए सिरे से मूल्यांकन किया गया है और इसमें नया अपडेट आया है। सरकार की ओर से भी इसे लेकर जरूरी कदम उठाए गए। देश के 700 जिलों में विशिष्ट सलाहकार सेवाओं और पूर्वानुमानों के लिए एक प्रणाली स्थापित की गई।

तीन महीनों में होगा 70 प्रतिशत

आईएमडी की तरफ से कहा गया कि जून, जुलाई, अगस्त, इन तीन महीनों में अल नीनो के 70 प्रतिशत विकसित होने की संभावना है तो वहीं जुलाई से सितंबर के बीच ये 80 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2001 से 2020 के बीच देश में सात अल नीनो वर्ष देखे गए हैं। इन सात में से चार की वजह से सूखे की स्थिति भी देखी गई थी। इनमें 2003, 2005, 2009-10, 2015-16 वर्ष शामिल हैं। इन सभी वर्षों में खरीफ या गर्मियों में बोए गए कृषि उत्पादन में 16 प्रतिशत, 8 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई। बता दें कि खरीफ एक ऐसी फसल है जो देश की वार्षिक खाद्य आपूर्ति का लगभग आधा हिस्सा है।

बीते तीन वर्ष में "ला-नीना" की वजह से हुई सामान्य बारिश

आईएमडी की ओर से कहा गया है कि पिछले तीन वर्ष में "ला नीना" की वजह से सामान्य बारिश दर्ज की गई है। लेकिन अब ला नीना के प्रभाव के बाद वायुमंडल में अल नीना की स्थिति बनने की स्थिति बन सकती है। दरअसल "अल-नीनो" "ला नीना" के एकदम विपरीत होता है। इससे पहले मौसम विभाग ने ये भी कहा था कि अल-नीनो की स्थिति बनने के बावजूद भारत में साउथ-वेस्ट मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की आशंका है। इससे कृषि क्षेत्र में राहत मिलने की भी उम्मीद है।

क्या है अल नीनो?

उन्होंने बताया कि अल नीनो प्रशांत महासागर के भूमध्य क्षेत्र में समुद्री घटनाओं में से एक है। समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर बदलाव होने से दुनियाभर के मौसम पर इसका असर दिखता है। अल नीनो एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से तापमान गर्म होता है। अल नीनो को जलवायु प्रणाली का ही हिस्सा माना जाता है। इसकी वजह से मौसम पर गहरा असर पड़ता है।

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