शाहजहांपुर। मुंबई में आतंकवादियों का सीना छलनी करने वाले अनिल कमांडो का पूरा परिवार ही फौलादी बना है।चाहे आतंकवादी हमला हो या सीमा पर जंग ।अनिल कमांडो ने अपने साहस का अद्भुत परिचय दिया। ठीक अनिल कमांडो की तरह निकली उनकी भांजी शिखा भूपेंद्र सिंह 28 साल की आयु और बीमारी कैंसर की जिसका नाम सुनकर ही पसीना छूट जाए लेकिन शिखा ने कैंसर से जंग लड़ने की ठानी और केवल जंग लडी ही नही बल्कि जीती भी। टाटा मेमोरियल मुंबई में लंबी इलाज के बाद जब शिखा स्वस्थ होकर घर बापस लौटी तो उस समय सबको आश्चर्य हुआ। कैंसर को मात देने बाली शिखा ने बताया कि उसने कभी अपने को कमजोर नही होने दिया। दृढ़ निश्चय और आत्म विश्वास से उसने लगभग 9 माह के लंबे इलाज के दौरान अन्य रोगियों को प्रेरणा देने का कार्य भी किया। सबसे बङी बात कि जिन्दगी की इस जगं मे अपनी छोटी बहन के साथ सबकुछ खुद से ही किया। अब शिखा एक दम स्वस्थ प्रसन्न सब कार्य कर रही है साथ ही दूसरों को प्रेरणा भी दे रही है कि हारिए न हिम्मत विसारिए न राम। भगवान भोले और मां दुर्गा की अनन्य भक्त शिखा आज हजारों लोगों के लिए एक रोल माडल की तरह है जिसने असंभव को संभव कर दिखाया।उसकी जिजीबिशा से अभिभूत मुंबई की एक संस्था ने शिखा को पी यम के फाउंडेशन की तरफ से इंस्पायर अवार्ड 2023 भी दिया गया। आज समाज को जरूरत है शिखा सिंह जैसे कर्मठ ऊर्जा बान नौजवानो की।जो समाज देश को आगे बढ़ाने का कार्य करें।
शिखा सिह ने हौसले से जीती कैंसर से जंग- 28 वर्ष में हुआ स्किन कैंसर
Highlights
पिता की मृत्यु के बाद शिखा ने अपने घर की जिम्मेदारी के लिये अपने कंधो पर छोटे भाई बहनो के लिए निभाया पिता का फर्ज। शिखा की मां एक गृहणी है।
आज दूसरे कैंसर रोगियों के लिए बनी प्रेरणा शिखा सिंह