संजीव ठाकुर, लेखक, चिंतक, स्तंभकार, रायपुर छत्तीसगढ़
क्या संयुक्त राष्ट्र संघ और एमनेस्टी इंटरनेशनल की भूमिका बेमानी हो गई हैं। क्या मानवीय संवेदनाओं की आशाएं...
संजीव ठाकुर
मानव सभ्यता का सतत विकास उसकी अदम्य जिज्ञासा, उत्कट उत्साह, जिजीविषा, निरंतर उन्नति की भूख और आशावादिता का प्रतिफल है। सभ्यता और संस्कृति...