एससीएसटी आयोग द्वारा एफआईआर कराने के आदेश के बावजूद अभी तक आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर नहीं दर्ज हो सकी
वेतन विसंगति मामले में विद्यालय से मंगाई गई दो सेवा पंजिका गायब होने का आरोप
कानपुर नगर। शहर के गंगादीन गौरी शंकर इंटर कालेज के अनुसूचित जाति के प्रवक्ता महक सिंह ने लिखित शिकायत कर आरोप लगाया है कि उनकी व अन्य शिक्षक राकेश भारद्वाज की सेवा पंजिका गायब है जिसके कारण उनका इंक्रीमेंट नहीं लग पा रहा है।
प्रवक्ता महक सिंह ने हमारे समाचार पत्र से एक औपचारिक वार्ता में बताया कि उनके वेतन विसंगति के मामले में विद्यालय से 4 शिक्षकों की सेवा पंजिका 1 दिसम्बर 2021 को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा वेतन विसंगति के तुलनात्मक अध्ययन हेतु मंगाई गई थी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मात्र दो शिक्षकों की सेवा पंजिका विद्यालय में वापस प्राप्त हो सकी हैं जबकि उनकी व एक अन्य शिक्षक राकेश भारद्वाज की सेवा पंजिका विद्यालय को वापस प्राप्त नहीं हुई है। इस सम्बंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रादेशिक संयोजक शैलेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि वेतन विसंगति संबंधी उक्त मामला एससीएसटी आयोग में विचाराधीन है। उन्होंने सेवा पंजिका का गायब होना कार्यालय में गोपनीय दस्तावेजों के रख रखाव सम्बंधी गम्भीर लापरवाही का उजागर होना बताया। ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के गायब होने पर नियमत: एफआईआर होना आवश्यक है।
गंगादीन गौरी शंकर इंटर कालेज के प्रवक्ता पद पर कार्यरत महक सिंह अनुसूचित जाति वर्ग के अंतर्गत आतें हैं। महक सिंह ने आरोप लगाते हुए बताया कि कानपुर नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक व लेखाधिकारी द्वारा उनके साथ हो रहे उत्पीड़न के मामले की शिकायत उन्होने एससीएसटी आयोग में की है जहां 30 सितम्बर को हुई पिछली सुनवाई में सेवा पंजिका गायब होने के विषय में एफआईआर करने के मौखिक आदेश के बावजूद अभी तक एफआईआर नहीं दर्ज हो सकी है। इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लेखाधिकारी को पत्र लिख कर आवश्यक कार्यवाही हेतु सूचित कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर महक सिंह द्वारा ये संदेह जताया जाना कि एससी वर्ग से होने के कारण विद्यालय व जिला विद्यालय निरीक्षक सहित लेखाधिकारी द्वारा उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, जांच का एक गम्भीर विषय है। कुछ शिक्षक नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये भाजपा सरकार के सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास के दावों की धरातल पर वास्तविक सच्चाई है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि शिकायत करने वाले पीड़ित शिक्षक के ज़ख्मों पर मरहम लगाने का प्रयास न तो स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा और न ही शासन में बैठे आला अधिकारियो द्वारा किया गया है। वर्ष 2021 के प्रकरण का अक्टूबर 2024 की समाप्ति तक निपटारा नहीं हो पाना शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है।
पीड़ित ने अपना दर्द बताया कि शिकायती पत्र के माध्यम आवगत कराया जा चुका है कि वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें अन्य समतुल्य पद पर कार्यरत शिक्षकों से कम वेतनमान मिल रहा है।