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बाल रोग विभाग सभागार में पिडियाट्रिक और नर्सिंग स्टाफ को स्तनपान पर कार्यक्रम का आयोजन

Organizing a program on breastfeeding for pediatric and nursing staff in the Department of Pediatrics Auditorium
कानपुर,भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा विश्वस्तनपान सप्ताह के अन्तर्गत  को बाल रोग विभाग सभागार में पिडियाट्रिक और नर्सिंग स्टाफ को स्तनपान पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।अशैलेन्द्र गौतम कार्यक्रम का संचालन डॉ० यशवन्त राव, डॉ० सुबोध बाजपेयी,डॉ० शाइनी सेठी, डॉ० रूपा डालमिया, डॉ० राखी जैन ने किया।डॉ० यशवन्त राव ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप माँ का दूध अमृत के समान है इसको जन्म में पहले घंटे में पिलाना चाहिए। स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया भर के शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसकी शुरूआत अगस्त 1990 में हुई थी। विश्व स्तनपान सप्ताह घोषित किए जाने स्तनपान को बढ़ावा देना है जिससे शिशुओं को सही पोषण और उनका स्वास्थ्य बेहतर किया जा सके।डॉ० शाइनी सेठी ने बताया कि माँ द्वारा अपने शिशु को अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की क्रिया को स्तनपान कहते है। यह सभी स्तनपाइयों में आम क्रिया होती है। कोई दूसरी बीमारी की दवा खा रही है तो इससे दूध का कोई लेना-देना नही है, यह बच्चों को दूध पीला सकती है।डॉ० रमा ने बताया कि माँ का दूध केवल पोषण ही नहीं जीवन की धारा है। इससे जो और बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिशु को पहले छः महीने तक केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। डॉ० राखी जैन ने बताया कि यह सही नहीं है कि मों को दूध नही हो रहा है हर माँ में बच्चे के जन्म के साथ दूध होता है पिलाने के तरीके सही न होने की वजह से बच्चा दूध नहीं पी पाता है। दूध पिलाने के विषय में संक्षेप में बताया।

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